Book Title: Gyansara
Author(s): Maniprabhsagar, Rita Kuhad, Surendra Bothra
Publisher: Prakrit Bharati Academy

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Page 281
________________ प्रकाशितं जनानां यैर्मतं सर्वनयाश्रितम्। चित्ते परिणतं चेदं येषां तेभ्यो नमो नमः॥6॥ नय सर्व आश्रित रूप प्रवचन जगत को जिसने दिया। स्याद्वाद का गंभीर विश्लेषण अमी भर भर पिया॥ जिनके हृदय में सर्वनय की वचन परिणति हुई प्रगट। उनको करूं मैं वंदना नित खोल अपना हृदय घट॥ 6 // जिन महापुरुषों ने सभी नयों से आश्रित प्रवचन लोगों के लिए प्रकाशित किया है और जिनके चित्त में (वह प्रवचन) परिणत हो गया है उनको वारम्वार नमस्कार हो। Salutations to the great sages whose enlightening precepts are based on all Nayas, and also to those who have understood and absorbed those precepts. {254}

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