________________ निश्चये व्यवहारे च, त्यक्त्वा ज्ञाने च कर्मणि। / एकपाक्षिकविश्लेषमारूढाः शुद्धभूमिकाम् // 7 // निश्चय तथा व्यवहार ज्ञान क्रिया नयों में जो चढ़े। स्थित एक जो पक्षीय भ्रांति छोड़ आगे जो बढ़े॥ शुभ ज्ञान परिणति रूप निर्मल भूमिका आधार है। ज्ञाता सकल नय के जो हैं उनकी सदा जयकार है। 7 // निश्चय नय में, व्यवहार नय में, ज्ञान में और क्रिया नय में एक पक्ष में स्थित भ्रांति के स्थान को छोड़कर शुद्ध भूमि का पर आरुढ़ और। Leaving the bias of specific Nayas like Nishchaya (absolute), Vyavahar (Practical), Jnana (Knowledge), and Kriya (action), those who transcend to the pure state - - - (255)