________________ | परिग्रह-त्याग-२५/ न परावर्तते राशेर्वक्रतां जातु नोज्झति। परिग्रहग्रहः कोऽयं, विडम्बितजगत्त्रयः // 1 // पीछे चले निज राशि से ना अग्र भी बढ़ता नहीं। निज वक्रता का भी कभी परित्याग वो करता नहीं। तीनों जगत का कर रहा ऐसी सदैव विडम्बना। ऐसा परिग्रह रूप ग्रह है कौन नित्य विचारना॥1॥ जो राशि से पीछे नहीं हटता, अपनी वक्रता कभी छोड़ता नहीं, जिसने तीनों जगत को विडम्बना दी है, ऐसा परिग्रह रूप ग्रह और कौन-सा है ? The Desire for Possessions With a vice like tenacity it never detracts from its orbit around the three worlds and its evil influence thereon. This desire for possessions is like the worst amongst the orbiting planets. {193}