________________ MORRORINGHOST | अनुभव-26 सन्ध्येव दिनरात्रिभ्यां, केवलश्रुतयोः पृथक् / बुधैरनुभवो दृष्टः, केवलाऽर्काऽरुणोदयः // 1 // संध्या अलग है दिवस से भी अलग है निशि से भी वह। श्रुत ज्ञान से कैवल्य से भी अलग अनुभव ज्ञान कह। कैवल्यज्ञान स्वरूप रवि के अरुण उदय समान है। पंडितजनों से दृष्ट ऐसा परम अनुभव ज्ञान है॥1॥ जिस प्रकार दिन और रात में संध्या अलग है, उसी प्रकार केवल ज्ञान और श्रुत ज्ञान से भिन्न अनुभव केवल ज्ञान रूप सूर्य के अरुणोदय के समान ज्ञानियों ने देखा है। Experience As the twilight is different from the day and the night, so is 'kewalya' (state of omniscience) from the knowledge of the shrutas. Sages reveal that the experience of kewalya is like beholding the sun at dawn. (201}