________________ ज्ञायेरन् हेतुवादेन, पदार्थं यद्यतीन्द्रियाः / कालेनैतावता प्राज्ञैः, कृतः स्यात्तेषु निश्चयः // 4 // जो है अतीन्द्रिय तत्त्व उनका युक्तियों से ज्ञान हो। इतने समय में पंडितों को फिर कभी का भान हो। निर्णय कभी का कर लिया होता कि आत्मा चीज क्या ? अनुभव बिना ना जान सकते पेड़ क्या है बीज क्या ? // 4 // यदि युक्तियों द्वारा अतीन्द्रिय पदार्थों का बोध संभव होता तो इतने समय में पंडितों ने उन अतीन्द्रिय पदार्थों के विषय में निश्चय कर लिया होता। had it been possible to understand that which is ertra-sensory through logic and reasonings the pundits would have by now known everything about the atman' (Soul). But the fact is that without experience one cannot comprehend what a seed is and what a tree is. {204}