________________ कृपानिर्वेदसंवेगप्रशमोत्पत्तिकारिणः / भेदाः प्रत्येकमत्रेच्छाप्रवृत्तिस्थिरसिद्धयः // 3 // इच्छा. प्रवृत्ति स्थैर्य सिद्धि भेद चारों ही कहा। सब योंग के ये भेद होते मर्म शास्त्रों का लहा। इनमें कृपा निर्वेद औ संवेग प्रशमोत्पत्ति है। यों भेद कुल अस्सी बने ये शास्त्र की विज्ञप्ति है।। 3 / / प्रत्येक योग के इच्छा, प्रवृत्ति स्थरिता और सिद्धि इस प्रकार चार-चार भेद होते हैं। ये कृपा, निर्वेद, संवेग और प्रशम को उत्पन्न करने वाले होते हैं। Every yoga has four levels - desire, indulgence or practice, stability or concentration and achievement or purity. These give rise to humility, detachment, spiritual craving and peace. {211}