________________ सदुपायप्रवृत्तानामुपेयमधुरत्वतः / ज्ञानिनां नित्यमानन्दवृद्धिरेव तपस्विनाम् // 4 // सुन्दर उपायों में प्रवर्तित ज्ञानियों के मन सदा। आनंद ही आनंद बढता भाव मन रमते मुदा // क्योंकि नजर सम्मुख रहे नित मोक्ष की मीठास है। शिव प्राप्ति ही इक साध्य है शिव प्राप्ति की ही आश है।। 4 / सद् उपाय में प्रवृत्त ज्ञानी ऐसे तपस्वियों को मोक्ष रूप साध्य के मिठास से हमेशा आनंद की वृद्धि ही होती है। The sages indulging in right endeavour are the ascetics for whom the sweetness of the goal of liberation is ever increasing. {244}