________________ भाक्त श्रद्धानघुसृणोन्मिश्रपाटीरजद्रवैः। नवब्रह्माङ्गतो देवं, शुद्धमात्मानमर्चये // 2 // भक्ति तथा श्रद्धान चंदन युक्त केसर रस भरो। नव ब्रह्म वाड़ स्वरूप नौ अंगों की फिर पूजा करो। भीतर छिपी जो आतमा वही देव है, पूजो उसे। चैतन्य रूप स्वरूप ही है और तूं पूजे किसे / / 2 / / भक्ति और श्रद्धा रूप केसर मिश्रित चंदन के द्वारा शुद्ध आत्म देव की नव प्रकार के ब्रह्मचर्य रूप नव अंगों की तूं पूजा कर। . Worship the pure soul by putting spots of the auspicious mixture of sandal wood of devotion and saffron of faith on the nine parts of the conceptual body of the pure soul that is Brahma, (226)