________________ उल्लसन्मनसः सत्यघण्टां वादयतस्तव। भावपूजारतस्येत्थं, करकोडे महोदयः / / 7 // मन भाव के उल्लास में फिर सत्य घंट निनाद हो। एकाग्रता हो आत्म में नहिं कोई वाद विवाद हो। तल्लीनता ऐसी परम शुभ भाव पूजा में बने। उसके लिये तो मोक्ष कर में प्राप्त करता इक क्षणे॥7॥ उल्लसित मन से सत्य रूप घण्ट वादन करता हुआ और भाव पूजा में लीन बना हुआ तेरा मोक्ष तेरी हथेली में ही है। Sounding the gong of truth with the blissful attitude, loose your identity in the spiritual worship and the liberation will come within your reach. {231}