________________ मूर्छाच्छन्निधियां सर्व, जगदेव परिग्रहः / मूर्च्छया रहितानां तु, जगदेवाऽपरिग्रहः // 8 // मति पर लगा जिनके पटल, अति मूर्च्छना का वे कहें। सारा जगत ही है परिग्रह इन विचारों में बहे // लेकिन रहित जो मूर्च्छना से भाव उनके यों जगे। सारा जगत परिग्रह रहित ही साधुओं को यों लगे॥8॥ मूर्छा से जिसकी बुद्धि आच्छादित है, उनके लिये सर्व जगत ही परिग्रह है। मूर्छा रहित व्यक्तियों के लिये तो संसार ही अपरिग्रह रूप है। For people whose minds are under the influence of illusion of desires the whole world is there for their possessing. But for those who are above this state of illusion the entire world is the object of detachment. - (200)