________________ त्यक्तपुत्रकलत्रस्य, मूर्खामुक्तस्य योगिनः / चिन्मात्रप्रतिबद्धस्य, का पुद्गलनियंत्रणा॥ 6 // छोड़ा जिन्होंने पुत्र नारी को हो ममता से रहित। मुख मोड़ जग परिग्रह से साधे आत्म को निज बल सहित // वे ज्ञान में ही रत रहे निज भान में ही सर्वदा। योगी परम उनको न बंधन पुगलों का सर्वथा // 6 // जिसने पुत्र पत्नी का त्याग किया है, जो ममत्व से रहित है, और ज्ञान मात्र में आसक्त है, ऐसे योगी को पुद्गल का बंधन क्या होगा? He who gives up the attachement for his son and wife alongwith the feeling of fondness and looses himself into the quest for knowledge goes beyond all mundane ties.. {198}