________________ अज्ञानाऽहिमहामंत्रं, स्वाच्छन्द्यज्वरलंघनम्। धर्मारामसुधाकुल्यां, शास्त्रमाहुर्महर्षयः // 7 // अज्ञान रूपी सर्प-जहर विनाश मंत्र समान है। स्वच्छंदता रूपी महाज्वर नाश 'लंघन' मान है। सध्दर्म रूपी बाग के सुविकास अमृत नीक सम। महिमा सदा यों शास्त्र की ऋषि साधु सब गाते परम // 7 // ये शास्त्र अज्ञान रूप सर्प का जहर उतारने में महामंत्र समान हैं। स्वच्छन्ता रूप ज्वर का नाश करने में उपवास समान हैं। धर्म रूप बगीचे में अमृत की नीक समान हैं। ऐसा ऋषियों का कथन है। "These scriptures are like magic potions against the venom of the snake of ignorance. They are like a fast for the cure of fever of indiscipline. They are like vessels of nectar to help growth in the garden of religion." So say the sages. {191