________________ ज्ञानक्रियासमावेशः, सहैवोन्मीलने द्वयोः / भूमिकाभेदतस्त्वत्र, भवेदेकैकमुख्यता / / 7 // दोनों ही दृष्टि साथ हों तो ज्ञान श्रुत की एकता। पर भूमिका के भेद से हो अलग अपनी मुख्यता। शुभ ध्यान की वरदा दशा में ज्ञान की है मुख्यता। व्यवहार की सुखदा दशा में है क्रिया की प्रमुखता // 7 // दोनों दृष्टियाँ एक साथ खुलने पर ज्ञान और क्रिया की एकता है। यहाँ ज्ञान क्रिया में गुणस्थान रूप अवस्था के भेद से एक-एक की मुख्यता होती है। Looking from both these view points simultaneously there is a unison of knowledge and ascetic practices at the highest level of purity. But each one gains prominence at different levels of purity (The. Gunasthanas). {87}