________________ शासनात् त्राणशक्तेश्च, बुधैः शास्त्रं निरुच्यते।। वचनं वीतरागस्य, तत्तु नाऽन्यस्य कस्यचित्॥3॥ उपदेश हित का जो करे वह शास्त्र कहलाता सदा। उपदेश दे हर जीव की रक्षा करे वह सर्वदा॥ इस शास्त्र रूपी शब्द की व्युत्पत्ति पंडित यों करें। को अन्य ना, ये वचन सारे वीतरागी उच्चरे॥3॥ "हितोपदेश व रक्षा का सामर्थ्य' ऐसी 'शास्त्र' शब्द की व्युत्पत्ति पंडित जन करते हैं। (वास्तव में) वीतराग के वचन ही शास्त्र हैं, किसी अन्य के नहीं। Pundits interpret the word 'Shastras' as that source of literature which imparts knowledge and protects all beings. The words of 'Shastras' are none other than those pronounced. by the saints (Vitaragis') themselves. {187}