________________ यथा योधैः कृतं युद्धं, स्वामिन्येवोपचर्यते। शुद्धात्मन्यविवेकेन, कर्मस्कन्धोर्जितं तथा॥4॥ योद्धा करे जो युद्ध पर दायित्व उसका स्वामि पर। जय हो अगर हो हार तो भी जिम्मेदारी नृपति पर // अविवेक ने जो कर्म पुद्गल फल विलास किया सदा। परिणाम उसका भोगती है आतमा ही सर्वदा / / 4 // सैनिकों द्वारा युद्ध करने पर भी राजा में ही उसका अरोपण होता है वैसे ही अविवेक द्वारा कर्म स्कंध का पुण्य पाप रूप फल शुद्ध आत्मा में ही आरोपित होता है। Though its the soldiers who fight in a battle the onus falls on the king, likewise the fruits of the ill effects caused by non-conscientious acts are borne by the soul.. . (116)