________________ नवब्रह्मसुधाकुण्डनिष्ठाऽधिष्ठायको मुनिः। नागलोकेशवद् भाति, क्षमां रक्षन् प्रयत्नतः / / 4 / ब्रह्मचर्य के नवकुंड का जो ध्यान से रक्षण करे। सहिष्णु परम मुनि धैर्य उर में शेषनाग समा धरे। ऐसे मुनीश्वर ऋद्धिमान जगत शिरोमणि श्रेष्ठ है। नृप इन्द्र से सुर चक्रवर्ती से भी सब में ज्येष्ठ है।॥4॥ नव प्रकार के ब्रह्मचर्य रूप अमृत कुंड की निष्ठा के सामर्थ्य से तथा प्रयत्नपूर्वक क्षमा की साधना करते ये महामुन नागलोक के स्वामी की तरह सुशोभित होते हैं। They carefully guard the nine tanks of celibacy. They are. patience and tolerance personified. Such knowledgeable and talented munis are definitly greater than the greatest of gods and kings. {156)