________________ विस्तारितक्रियाज्ञानचर्मच्छत्रो निवारयन्। मोहम्लेच्छमहावृष्टिं चक्रवर्ती न किं मुनिः // 3 // वे मोहरूपी म्लेच्छ से जो दिनरात ही वृष्टि करे। निज - ज्ञान रूपी छत्र रत्न अपूर्व से उसको हरे॥ चारित्र रूपी चर्म रत्न से वृष्टि को वे रोकते। ऐसे मुनि चक्री नहीं क्या भान निज विस्तारते / / 3 / क्रिया और ज्ञान रूप चर्म रल और छत्र रत्न के विस्तार से मोहरूप म्लेच्छों द्वारा की गई महावृष्टि को रोकने वाले ये मुनि क्या चक्रवर्ती नहीं ? The torrential rains of filthy attachment are warded off by their bejewelled umbrellas of knowledge. The onslaught of those heavy rains is diverted by their bejewelled armour of good conduct. Then, are not such munis true 'Chakravartis' (Great conquerers of . the world). {155}