________________ कृतमोहास्त्रवैफल्यं, ज्ञानवर्म बिभर्ति यः। क्व भीस्तस्य क्व वा भङ्ग, कर्मसङ्गरकेलिषु // 6 // धर ज्ञान बख्तर के हराया मोह रिप दल को यदा। उसको न' भय है कर्म से संग्राम करते हैं तदा।। नहिं युद्ध क्रीड़ा में पराभव की रहे संभावना। संयम अभय मन को करे ज्यों करे चंदन बावना // 6 // जिसमें मोह रूप अस्त्र को विफल किया है, ऐसा ज्ञान रूप बख्तर धारण करने वाले मुनि को कर्मरूप शत्रु के साथ संग्राम क्रीडा खेलते हुए न तो भय ही लगता है, और न ही वह पराजित होता A Muni who possesses the armour of knowledge and is capable of diffusing the weapon of attachment, is fearless in a battle with the enemy, karma, and even triumphs over it. {134}