________________ न विकाराय विश्वस्योपकारायैव निर्मिताः / स्फुरत्कारुण्यपीयूषवृष्टयस्तत्त्वदृष्टयः // 4 // करुणा प्रपूरित दृष्टि अमृत वृष्टि जो करते सदा। ज्ञानी परम शुभ . तत्त्व दृष्टि जन्म लेते सर्वदा। उपकार हेतु जन्मते, न विकार हेतु जन्मते / जग सकल का उपकार हो, चिंतन यही मन धारते॥8॥ अत्यन्त स्फुरित करुणा रूप अमृत वर्षा करने वाले तत्त्व दृष्टि महापुरुषों का जन्म विकार हेतु नहीं अपितु विश्व पर उपकार के लिये होता है। Those who possess, spiritual insight live for the benefit of others and never cause any harm to anyone. They are the spiritually awake people who possess empathy for others. {152}