________________ एकं ब्रह्मास्त्रमादाय, निघ्नन् मोहचमूं मुनिः। बिभेति नैव सझामशीर्षस्थ इव नागराट् // 4 // मुनि ब्रह्म ज्ञान सुशस्त्र से रिपु मोह पर विजयी बने। ज्यों युद्ध करता श्रेष्ठ हाथी अभय होता है रणे॥ नहिं चित्त में भय तनिक संयम भाव मन में है भरा। यों अभय रहते जगत से मुनिवर्ग से धन धन धरा॥4॥ का संहार करता हुआ संग्राम के शीर्ष (सबसे आगे) पर रहते उत्तम हाथी के समान मुनि कभी भय को प्राप्त नहीं करता। * A Muni armed with cosmic knowledge is like a powerful elephant in the battlefield who triumphs over the enemy, attachment. There is no place for fear in his heart and the world is grateful for the presence of such a class of people. (132}