________________ परस्पृहा महादुःखं, निःस्पृहत्वं महासुखम्। एतदुक्तं समासेन, लक्षणं सुखदुःखयोः // 8 // पर पुद्गलेच्छा वस्तु इच्छा जगत में दुख रूप है। इच्छा विरक्ति निस्पृहा धारे बने निजभूप है। . सुख दुःख का लक्षण यही संक्षेप से मैंने कहा। * इच्छा अनिच्छा में निजातम भाव दुख सुख का रहा // 8 // . पर की आशा-लालसा करना यह महादुःख है और नि:स्पृहत्व महासुख है, यही संक्षेप में सुख और दुःख का लक्षण कहा है। A desire for the material benefits is the prime cause of misery and detachment is the cause of happiness. This in a nutshell, is the true reason for unhappiness and happiness. . . . {96}