________________ विवेकद्विपहर्यक्षः, समाधिधनतस्करैः। इन्द्रियैर्न जितो योऽसौ, धीराणां धुरि गण्यते॥८॥ इन्द्रिय विनाशे सिंह सम गज रूप आत्म विवेक को। है चोर सम ये इन्द्रियाँ चोरे समाधि स्वभाव को॥ ऐसी भयंकर इन्द्रियों से जो नहीं हारा कभी। वह धीर पुरुषों में प्रवर है वंदना करते सभी॥८॥ विवेक रूप हाथी का नाश करने में सिंह के समान और समाधि रूप धन को लूटने वाली दुष्ट इन्द्रियों से जो नहीं हारा, वह धीर पुरुषों में अग्र माना जाता है। . The senses kill reason as a lion kills elephant and deprive one of his concentration (in meditation) as a smuggler deprives one of ones wealth. A person who does not surrender to the attacks of the senses is truly venerable. *** .. {56}