________________ | त्याग-8 संयताऽऽत्मा श्रये शुद्धोपयोगं पितरं निजम्। धृतिमम्बाञ्च पितरौ, तन्मां विसृजतं ध्रुवम्॥१॥ शुद्धोपयोग स्वरूप तात तथा स्विकारूं मां धृति / मां तात तारणहार ये सच्चे न देते विकृति / / हे तात ! अम्बा ! मैं बनूं संयत मुझे दो स्वीकृति। संयम विमुख बना मैं शुद्ध उपयोग रूप अपने पिता का और आत्म - रति रूप माता का आश्रय स्वीकार करता हूँ, अत: हे ! माता-पिता मुझे अवश्य छोड़ो। DETACHMENT Purity of purpose is like my father & indulgence in the self is like my mother. These are like my true emancipators and can cause no harm so I seek refuge unto them. So O'ye mother and O'yoo father, {57}