________________ तेजोलेश्याविवृद्धिर्या, साधोः पर्यायवृद्धितः / भाषिता भगवत्यादौ, सेत्थम्भूतस्य युज्यते // 5 // चारित्र वय भी वृद्धि से मन शान्ति की अभिवृद्धि हो। भगवती आगम का कथन यह घटे जब मन शुद्धि हो / जिस साधु का श्रृंत मग्नता में बीतता प्रत्येक पल। उनके हृदय में तेजो लेश्या प्रकट होती है विमल // 5 // भगवती आदि सूत्रों में बताया गया है साधु को पर्याय वृद्धि से तेजोलेश्या वृद्धि होती है, वह कथन ऐसे अध्यात्म दशा में मग्न साधुओं में ही घटित होता है। It is elucidated in the 'Bhagwati Sutra' that a Sadhu who concentrates on the 'Shrutas' (Canons) incessantly is strong in character, experiences peace, and in his heart glows the flame of spirituality. {13}