________________ ध्यानवृष्टेर्दयानद्याः, शमपूरे . . प्रसर्पति।.. विकारतीरवृक्षाणां, मूलादुन्मूलनं भवेत् // 4 // शुभ ध्यान की बरसात से करुणा नदी के नीर के। शम पूर में बह जाय विकृति वृक्ष सारे तीर के॥ सब मूल से ही उखड़ जावे हो विकारों का शमन / शम भाव में क्षमता भरी हो जाय दोषों का दमन // 4 // ध्यान रूप वर्षा से दया रूप नदी का उपशम रूप पूर बढ़ने से किनारे पर स्थित विकार रूप वृक्ष जड़ मूल से उखड़ जाते हैं। The shower of meditation causes in the river of compassion an overflow of equanimity that uproots the trees of evil feelings or flaws on the river blank. {44}