________________ स्थिरता-3 A वत्स! किं चञ्चलस्वान्तो, भ्रान्त्वा भ्रान्त्वा विषीदसि। निधि स्वसन्निधावेव, स्थिरता दर्शयिष्यति // 1 // हे वत्स ! क्यों तूं चित्त चंचल बन जगत में रखडता। हो प्राप्त तो नहिं तृप्ति हो नहीं प्राप्त हो तो खिन्नता॥ तेरा खजाना पास तेरे आत्म में तुम स्थिर बनो। स्थिरता अगर हो प्राप्त तो शिवपति बनो हे भविजनो॥१॥ हे वत्स ! मन को चंचल बनाकर तूं भटक भटक कर क्यों दुःखी होता है ? तेरा खजाना तेरे पास ही है ! तेरी स्थिरता ही उस निधान को दिखायेगी ! STABILITY Child why is there such restlessness in your heart? When you achieve you are dissatisfied and when you do not you are dejected. The treasures you seek are in your heart-be stable, your stability will make. you Shiva the Supreme. - {17}