________________ / चारित्रं स्थिरतारूप-मतः सिद्धेष्वपीच्यते। यतन्तां यतयोऽवश्य-मस्या एव प्रसिद्धये // 8 // चारित्र स्थिरता रूप है श्री सिद्ध में भी है कहा। स्थिरता की प्राप्ति हेतु श्रम ही है जगत में श्रम महा // स्थिरता हृदय में ज्ञान की हो ध्यान की हो तो सदा। तिर जाय मुनि इसके लिये पुरुषार्थ करते सर्वदा // 8 // चारित्र स्थिरता रूप है, इस कारण सिद्धों में भी चारित्र माना गया है। अत: इस स्थिरता की सम्पूर्ण सिद्धि के लिये अवश्य पुरुषार्थ करो। Right conduct is another name of stability or equanimity. It is believed that even liberated souls (Siddha) follow right conduct. As such, one should strive hard for this equanimity through right knowledge, meditation and other such means. *** {24}