________________ स्थैर्यरत्नप्रदीपश्चे-द्दीप्रः संकल्पदीपजैः / तद्विकल्पैरलं धूमै-रलं धूमैस्तथाऽऽश्रवैः॥ 6 // स्थिरता रतन का शुद्ध दीपक सर्वदा है दीपता। संकल्प दीपक से लहुं क्यों धूप रूप विकल्पता॥ परभाव चिंत संकल्प है उसका स्मरण विविकल्प है। जो स्थिर बना आश्रव नहीं न संकल्प है न विकल्प है॥६॥ यदि स्थिरता रूप रत्न-दीपक प्रज्ज्वलित हो रहा है, तो संकल्प रूप दीप से प्रगट होते विकल्प रूप धुएं का व अतिमलीन पापों से (आश्रव) क्या ? (अर्थात् वहाँ पाप व विकल्प नहीं हो सकते) The lamp of resolution has the scope for emitting the smoke of alternatives, but the lamp of stability or equanimity is always effulgent. {22}