________________ अनन्याऽपेक्षमैश्वर्य, ज्ञानमाहुर्मनीषिणः / / 8 // सद्ज्ञान अमृत है परम उत्पन्न सागर से नहीं। है परम उत्तम वर रसायण किन्तु औषधि है नहीं। ऐश्वर्य ऐसा है महा पर की अपेक्षा है नहीं। जिन देव भाषित ज्ञान की उपमा न जग में है कहीं॥८॥ ज्ञान अमृत है लेकिन समुद्र से उत्पन्न नहीं है। ज्ञान रसायन है, पर औषध नहीं है। ज्ञान ऐश्वर्य है, पर किसी अन्य की अपेक्षा नहीं है, ऐसा ज्ञानी कहते हैं। Right knowledge is the : elixir of life though it is the best chemical though it is not a medicine. It is a state of exaltation independent of material comforts. True knowledge is beyond compare, thus say the sages. *** {40}