________________ ज्ञानदुग्धं विनश्येत, लोभविक्षोभकूर्चकैः। अम्लद्रव्यादिवाऽस्थैर्या-दिति मत्वा स्थिरो भव // 2 // सद्ज्ञान रूपी पय में अस्थिरता का खट्टापन पडे। अतिलोभ रूप विकार से विकृत बने सब पय सडे / / फट जाय क्षण में दुग्ध सारा सोच लो स्थरि बन सघन / त्यागो सदा मन मैल अस्थिरता करो निज स्थिर सु मन // 2 // खट्टे पदार्थों के स्वर्श से दूध बिगड़ जाता है, उसी प्रकार लोभ के विकार रूप कूर्चकों से ज्ञन रूप दूध बिगड़ जाता है, ऐसा समझकर स्थिर बन ! As even a drop of a sour substance can spoil milk, so avarice spoils knowledge. Therefore stop wavering and be resolute. {18}