________________
( ३४ ) दिखाई देती है। पालि भी मध्य-मंडल की ही लोक-भाषा रही थी। अतः उसका प्रभाव शौरसेनी पर आवश्यक रूप से पड़ा है। जिन विद्वानों ने पालि का आधार कोई पूर्वी बोली (मागधी या अर्द्ध-मागधी) न मान कर किसी पच्छिमी बोली को माना है, उन्होंने शौरसेनी प्राकृत के साथ उसकी सर्वाधिक समानताएँ दिखाने का प्रयत्न किया है। कुछ समानताएं इस प्रकार है। (१) शौरसेनी के प्राचीन रूप में शब्द के मध्य में स्थित व्यंजन का लोप नहीं होता और अघोप स्पर्शों का घोष स्पर्शों में परिवर्तन भी बहुत कम दिखाई पड़ता है; (२) शब्द के मध्यस्थित 'न्' में भी साधारणतः परिवर्तन नहीं होता; (३) शब्द के आदि में स्थित 'य की जगह 'ज्' नहीं होता, जैसा उत्तरकालीन प्राकृतों में हो जाता है; (४) 'दानि
और 'इदानि' शब्द दोनों में ही समान रूप से प्रयुक्त होते हैं; (५) इसी प्रकार 'पेक्ख' 'गम्मिस्सिति ‘सक्किति' जैसे रूपों में भी समानता है। इन समानताओं के विषय में हमें यही कहना है कि इनमें से बहुत सी केवल पालि और शौरसेनी में ही नहीं मिलती, बल्कि अन्य प्राकृतों में भी पाई जाती है। ___इसी प्रकार पालि और पैशाची प्राकृत के सम्बन्ध का सवाल है। इन दोनो भाषाओं की मुख्य समानताएं इस प्रकार हैं--(१) घोष स्पर्शी (ग, द्, ब्,)के स्थान पर अघोष स्पर्श (क, त्, प्) हो जाना; (२) शब्द के मध्य में स्थित व्यंजन का सुरक्षित रहना; (६) 'भारिय' 'मिनान 'कसट' जैसे शब्दों में संयुक्त वर्णों का विश्लेषण (युक्त-विकर्ष) पाया जाना; (८)ज्ञ, ण्य्, और न्य का 'न' में परिवर्तन होता; (५) य का ज् में परिवर्तन न हो कर सुरक्षित रहना; (६) अकारान्त पुल्लिङ्ग शब्दों के प्रथमा एकवचन में ओकारान्त हो जाना; (७) धातु-रूपी में समानताएँ; (८) र काल में परिवर्तन न होकर सुरक्षित रहना। पालि की ये समानताएँ भी केवल पैशाची प्राकृत के साथ ही नहीं है। अन्य प्राकृतों में भी ये पाई जाती हैं। उदाहरणतः ञ, ण्य और न्य् की जगह ' मागधी और अन्य अनेक प्राकृतों में भी पाया जाता है। इसी प्रकार य का ज् में परिवर्तित न होकर 'य' ही बने रहना मागधी तथा अन्य प्राकृतों में पाया जाता है। इसी प्रकार अकारान्त शब्दों का ओकारान्त हो जाना केवल पैशाची प्राकृत में ही नहीं, किन्तु सभी पच्छिमी बोलियों में पाया जाता है और संस्कृत के मिथ्या-सादृश्य के आधार पर उद्भूत है। इसी प्रकार पालि का धातु-रूप-विधान न केवल पैशाची से ही अपितु मामान्यतः सभी पच्छिमी बोलियों से ममानता रखता है। यही हाल 'र' के पालि में परिवर्तित न होने का है। पश्चिमी वोलियों में भी ऐमा ही पाया जाता है। पैशाची