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कर्म-अस्तित्व के मूलाधार : पूर्वजन्म और पुनर्जन्म-२ ८३ पारिपाटिंक वातावरण, शिक्षण आदि के बिना भी दिखाई देते हैं। इन्हें पूर्वजन्म-कृत कर्म, या ज्ञानावरणीय कर्म के क्षय-क्षयोपशम आदि को माने बिना कोई चारा नहीं है।'
विख्यात फ्रांसीसी बालक 'जान लुइ कार्दियेक' जब तीन महीने का था, तभी अंग्रेजी वर्णमाला का उच्चारण करने लगा था। तीन वर्ष का होते-होते वह लैटिन बोलने और पढ़ने लगा था। पांच वर्ष की आयु में पहुँचने तक उसने फ्रेंच, हिब्रू और ग्रीक भाषाएँ भी अच्छी तरह सीख लीं। छह वर्ष की आयु में उसने गणित, भूगोल और इतिहास पर भी आश्चर्यजनक अधिकार प्राप्त कर लिया। सातवें वर्ष में वह इस दुनिया को छोड़कर चला गया।२ .
जर्मनी में बाल प्रतिभा का कीर्तिमान स्थापित करने वाले 'जान फिलिप वेरटियम' ने दो वर्ष की आयु में पढ़ना-लिखना सीख लिया था। छह वर्ष की आयु में वह फ्रेंच और लेटिन में धाराप्रवाह बोल लेता था। सात वर्ष की आयु में उसने अपने इतिहास, भूगोल और गणित सम्बन्धी ज्ञान से तत्कालीन अध्यापकों को अवाक् कर दिया। साथ ही इसी उम्र में उसने बाइबिल का ग्रीक भाषा में अनुवाद भी किया। सातवें वर्ष में ही वह बर्लिन की रॉयल एकेडेमी का सदस्य चुना गया और 'डॉक्टर ऑफ फिलॉसॉफी की उपाधि से विभूषित किया गया। किशोरावस्था में प्रवेश करते-करते वह इस संसार से विदा हो गया। ___ अत्यन्त अल्प आयु में विलक्षण प्रतिभा का परिचय देकर समस्त विश्व को आश्चर्य में डालने वाला 'लुवेक (जर्मनी) में उत्पन्न बालक 'फ्रेडरिक हीनकेन' सन् १७३१ में जन्मा था। पैदा होने के कुछ ही घण्टे बाद वह बातचीत करने लगा। दो वर्ष की आयु में वह बाइबिल के सम्बन्ध में पूछी गई किसी भी बात का युक्तिसंगत विस्तृत उत्तर देता था और बता देता था कि यह प्रकरण किस अध्याय का है। उसका इतिहास और भूगोल का ज्ञान भी बेजोड़ था। डेन्मार्क के राजा ने उसे राजमहल में बुलाकर सम्मानित किया था। तीन वर्ष की आयु में उसने भविष्यवाणी की थी कि अब मुझे एक वर्ष और जीना है। उसका कथन अक्षरशः सत्य निकला। ४ वर्ष की आयु में वह परलोकगामी हो गया। १. (क) अखण्डज्योति जून १९७४ के लेख से सार-संक्षेप, पृ. ३२ .. (ख) वही, सितम्बर ७९ पृ. १९ से सार-संक्षेप २. वही, जून १९७४ के लेख से, पृ. ३१
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