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३५४ कर्म-विज्ञान : कर्म का विराट् स्वरूप (३)
कर्म का विराट् स्वरूप
१. कर्म - शब्द के विभिन्न अर्थ और रूप
२. कर्म के दो रूप : द्रव्यकर्म और भावकर्म ३. कर्म : संस्काररूप भी, पुद्गलरूप भी
४. कर्म का परतंत्रीकारक स्वरूप
५. क्या कर्म महाशक्तिरूप है ? ६. कर्म मूर्तरूप या अमूर्त आत्मगुणरूप ? ७. कर्म का प्रक्रियात्मक स्वरूप
८. कर्म और नोकर्म : लक्षण, कार्य और अन्तर ९. कर्मों के कर्म, विकर्म और अकर्मरूप
१०. कर्म का शुभ और अशुभ रूप ११. सकाम और निष्काम कर्म : एक विश्लेषण
१२. कर्मों के दो कुल : घातीकुल और अघातीकुल १३. कर्म के कालकृत त्रिविध रूप
१४. कर्म का सर्वांगीण स्वरूप
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