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क्या कर्म महाशक्तिरूप है ? ४३९
समर्थन कर रहा है। संसार में दैनन्दिन घटित होने वाली घटनाएँ पूर्णरूप से इस अनुभवसिद्ध तथ्य की साक्षी हैं।' प्रचण्ड कर्मशक्ति के आगे बड़े-बड़े महारथी परास्त
महाभारत के प्रसिद्ध नायक पाण्डवों की शक्ति को कौन नहीं जानता ? परन्तु कर्मों की प्रचण्ड शक्ति के आगे उनकी कोई भी शक्ति काम न आ सकी। पाण्डुपुत्र अर्जुन महाभारत के संग्राम में अपने सैन्यदल के सेनापति थे। वे इतने अधिक बलिष्ठ थे कि अकेले ही हजारों व्यक्तियों को पीछे धकेल देते थे, किन्तु कर्मशक्ति के आगे वे भी परास्त हो गए। ___ महाभारत कहता है कि पूर्वकृत कर्मोदयवश पाण्डवों को बारह वर्ष तक वनवास के उपरान्त एक वर्ष का अज्ञातवास भी राजा विराट की नगरी में व्यतीत करना पड़ा। अज्ञातवास की शर्त बड़ी कठोर थी। दुर्योधन आदि कौरवों को पता न चल सके, इस प्रकार से गुप्त वेष में छिपकर समय-यापन करना था। जिनके यहाँ सैकड़ों दास-दासियाँ सेवा में तैनात रहती थीं, उसी पाण्डव-परिवार को कर्मराज के प्रकोप के कारण स्वयं दास बनकर रहना पड़ा । महाबली अर्जुन बृहन्नला के नाम से नपुंसक के रूप में रहकर राजकुमारियों को नृत्य एवं गायनकला सिखाया करते थे। प्रबल शक्तिमान् भीम ने विराटराज का रसोइया बनकर समय बिताया। जिसकी सेवा में सैकड़ों दासियाँ रहती थीं, उस महारानी द्रौपदी ने सैरिन्ध्री के नाम से दासी बनकर कालयापन किया। . एक पाण्डव परिवार क्या, हजारों-लाखों उन जैसे शक्तिशाली परिवार संसार में हुए हैं, जिनकी शक्तियों से, जिनकी धाक से एक दिन संसार कांपता था, लेकिन कर्मों की प्रचण्ड शक्ति ने उन्हें भी पछाड़ दिया। कर्मों के दरबार में लाखों शक्तिशाली योद्धाओं, चक्रवर्तियों, नरेन्द्रों और देवेन्द्रों तक को झुकना पड़ा। कर्मों की प्रचण्ड आंधी ने उनकी जड़ें उखाड़
दीं।
कर्मरूपी महाशक्ति के प्रकोप की भयंकरता
. कर्म एक महाशक्ति है, इसके आगे किसी का वश नहीं चलता। जिसके जीवन पर कर्मशक्ति का प्रकोप हो जाता है, उसे अतीव भयावह एवं लोमहर्षक परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। जन-साधारण की बात तो जाने दीजिए। कर्मशक्ति के प्रकोप की भयंकरता ने अनन्तबली
१. ज्ञान का अमृत (श्री ज्ञान मुनि जी म.) पृ. १२, ८१ से सारांश २. वही (पं. ज्ञानमुनि जी म.) पृ. ८१
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