________________
कर्मवाद का तिरोभाव-आविर्भाव : क्यों और कब २५१
(3)
कर्मवाद का तिरोभाव-आविर्भाव :
क्यों और कब
आविर्भाव या आविष्कार आवश्यकता होने पर होता है
संसार में कोई भी वस्तु ऐसी नहीं है, जिसका आविष्कार आवश्यकता के बिना हुआ हो। पाश्चात्य जगत् का यह माना हुआ सिद्धान्त है कि "आवश्यकता आविष्कार की जननी है।" जब मनुष्य को कृत्रिम प्रकाश की आवश्यकता हुई तो बिजली का आविष्कार हुआ। जब उसे समुद्र के अथाह जल पर सही-सलामत चलने और अपने गन्तव्य स्थान पर पहुँचने की इच्छा हुई तो उसने स्टीमर (वाष्प-जलयान) का आविष्कार किया, जो एक ही साथ सैकड़ों टन वजन अपनी छाती पर उठाये, समुद्र के अथाह जल पर तैरता हुआ मनुष्य को दूर-सुदूर गन्तव्य स्थान तक ले जाता है। जब मनुष्य को आकाश में उड़कर द्रुतगति से कुछ ही घंटों में हजारों मील दूर गन्तव्य स्थान पर पहुँचने की आवश्यकता हुई, समय की बचत करने की इच्छा हुई तो उसने एक से एक बढ़कर शीघ्रगामी वायुयानों का आविष्कार किया। स्थल पर शीघ्रगति से पहुँचने की इच्छा से उसने रेलगाड़ी, मोटरगाड़ी, बस आदि का आविष्कार किया, जो शीघ्र ही गन्तव्य स्थल तक पहुँचा देती हैं। सैकड़ों टन माल एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुँचाने के लिए मालगाड़ी, भार वाहक ट्रक का आविष्कार मानव बुद्धि की उपज है। इसी प्रकार मानव ने अपने भौतिक जीवन यापन के लिए जिन-जिन वस्तुओं की आवश्यकता हुई, उन-उन वस्तुओं, उत्पादक यंत्रों, मशीनों, आदि का आविष्कार किया। दूर-सुदूर बैठे हुए व्यक्ति से बातचीत करने के लिए उसने फोन, केबिल, वायरलेस आदि का; उसका चित्र, उसकी मुखमुद्रा एवं आकृति देखने तथा उसकी वाणी सुनने आदि की आवश्यकता पड़ी तो उसने रेडियो, टेलिविजन, वीडियो केसेट आदि का आविष्कार किया। चन्द्रलोक
1. Necessity is the mother of invention.'
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org