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९६ कर्म-विज्ञान : कर्म का अस्तित्व (१)
की जानकारियाँ उसके मस्तिष्क में इतनी अधिक लद जाती हैं कि उस दबाव से पिछले जन्म की स्मृतियाँ विस्मृति के गर्त में गिरती जाती हैं।
डॉ. स्टीवेंसन के शोध रिकार्ड में एक ऐसी पंचवर्षीय लड़की की घटना भी अंकित है, जो हिन्दीभाषी परिवार में जन्म लेकर भी बंगला भाषा के गीत गाती थी और उसी शैली में नृत्य करती थी, जबकि कोई भी बंगाली उस घर या परिवार के निकट नहीं था। इस लड़की ने अपना पूर्वजन्म सिलहट (आसाम) का बताया। इस जन्म में वह जबलपुर (म.प्र.) में . पैदा हुई। उसने पूर्वजन्म की जो-जो घटनाएँ तथा स्मृतियाँ बताई, वे पता लगाने पर ९५ प्रतिशत सही निकलीं। पूर्वजन्म की स्मृति कैसे-कैसे लोगों को होती है
पूर्वजन्म का स्मरण किस प्रकार के लोगों को रहता है, इस सम्बन्ध में डॉ. स्टीवेंसन आदि परामनोवैज्ञानिकों ने बताया कि जिनकी मृत्यु प्रचण्ड भयंकर आवाज सुनकर या आग्नेयास्त्र देखकर अथवा बिजली गिरने आदि के भय, आशंका, अभिरुचि, बुद्धिमत्ता, उत्तेजनात्मक, आवेशग्रस्त मनःस्थिति में हुई हो, उन्हें पिछले जन्म की स्मृति अधिक स्पष्ट होती है। अथवा दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या, अतृप्ति, कातरता या उद्विग्नता अथवा मोह-ग्रस्तता से युक्त चित्तविक्षोभकारी पिछले जन्म के घटना क्रम भी स्मृति-पटल पर उभरते रहते हैं। पिछले जन्म के कला-कौशल, विशिष्ट स्वभाव या आदत अथवा शौक की भी छाप किसी-किसी- बालक में वर्तमान जन्म में बनी रहती है। जिनसे अधिक प्यार या अधिक द्वेष रहा है, वे लोग भी इस जन्म में विशेष रूप से याद आते हैं।' ___ डॉ. स्टीवेंसन को कुछ केस ऐसे भी मिले, जिनमें पूर्वजन्म का स्मरण करने वाले उन्हीं बीमारियों से ग्रस्त थे, अथवा उन्हीं पूर्वजन्म की आदतों से घिरे थे, अथवा उनके शरीर पर वे ही निशान थे, जो पूर्वजन्म में थे। अर्थात्-आकृति की बनावट, और शरीर पर जहाँ-तहाँ पाये जाने वाले विशेष चिन्ह भी अगले जन्म में उसी प्रकार पाये गए।
इंग्लैण्ड की पुनर्जन्म की एक विचित्र घटना कुछ वर्षों पूर्व प्रकाश में आई थी। नॉर्थम्बरलैण्ड निवासी एक सज्जन मि. पोलक की दो लड़कियाँ सड़क पर एक मोटर की चपेट में आकर मर गई थीं। बड़ी-जोआना ११ वर्ष की थी, और छोटी-जैकलिन ६ वर्ष की थी। १. (क) अखण्ड ज्योति, जुलाई, १९७४ के लेख पर से सार-संक्षेप पृ. १२
(ख) जैनदर्शन में आत्मविचार (डॉ. लालचन्द्र जैन) पृ. २२२
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