Book Title: Tattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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दीपिकानियुक्तिश्च अ २ सू. २८
स्कन्धानां बन्धत्वनिरूपणम् ३१९ दयश्च परिणामा अव्यवस्थिताः अनवस्थिता एव भवन्ति परिणामित्वात् । तथाच-परमाणुपुद्गल: स्कन्धो वा द्रव्यादिजाति स्वभावमपरित्यजन् स्पर्शान्तरादिगुणं शब्दान्तरादिगुणं प्रतिपद्यते स्पर्शादिसामान्यमपरित्यजन्तः परमाण्वादयः पुद्गलाः स्पर्शादिविशेषान प्राप्नुवन्ति ।
तस्मादवस्थिताऽनवस्थितत्वं स्पर्शादीनां वर्तते परिणन्तारः खलु मरिचहिंग्वादयः स्वशक्तिपाटवशालिनः सन्तः परिणतियोग्य वस्तु क्वथिततक्रादिस्वाद्वाद्याकारेण स्वात्मसात्कुर्वन्तो दृष्टिगोचरा भवन्ति । केचित् पुनः-दधिगुडप्रभृतयः पदार्थाः परिणमनशक्तिस्वभावतयाऽन्योन्यपरिणति हेतवो भवन्ति पूर्वेषामेकतः परिणतिशक्तिर्भवति, पाटवातिशयात् । तथाच-परिणामात् स्पर्शादिशब्दादयोऽनवस्थिता भवन्तीति सिद्धम् ।।
अथ परिणतिविशेषाद् गुणवत्त्वस्याऽनवस्थितत्वेपि बध्यमानयोः परमाणुपुद्गलयोर्गुणवत्त्वे सति समगुणयोर्विषमयोर्वा द्विगुणस्निग्धस्य-द्विगुणरूक्षस्य वा, एवं-द्विगुणस्निग्धस्य-चतुर्गुणरूक्षस्य वा कया रोत्या परिणामो भवति ? किं द्विगुणस्निग्धः पुद्गलो द्विगुणरूक्षं पुद्गलं स्नेहात्मतया परिणमयति ? उताहो-द्विगुणरूक्षः पुद्गलो द्विगुणस्निग्धं पुद्गलं रूक्षात्मतया परिणमयति ? -
कथंचित् अव्यवस्थितत्व पक्ष को स्वीकार करने पर भी क्या समगुणवाला समगुण रूप से ही परिणत होता हैं ? या विषम गुण रूप से भी परिणत होता है ?
उत्तर- परमाणुओं में अथवा स्कंधों में स्पर्श आदि एवं शब्दादि परिणाम अवस्थित और अनवस्थित ही होते हैं, क्योंकि वे परिणामी होते है । परमाणु पुद्गल या स्कंध द्रव्य आदि जातिस्वभाव का परित्याग न करता हुआ दूसरे स्पर्श आदि गुण को या शब्दान्तर आदि गुण को प्राप्त होता है । परमाणु आदि पुद्गल स्पर्श आदि सामान्य को त्याग न करते हुए स्पर्श आदि विशेषों को प्राप्त होते हैं।
इस प्रकार स्पर्श आदि अवस्थित भी हैं और अनवस्थित भी हैं । मिर्च और हींग आदि, अपनी शक्ति की पटुता वाले होते हुए परिणाम योग्य वस्तु को सड़े तक्र आदि या स्वादु आदि रूप से आत्मसात् करते हुए देखे जाते हैं । कोई-कोई दही या गुड़ आदि पदार्थ परिणमनशक्ति स्वभाव वाले होने से एक दूसरे के परिणमन के हेतु होते हैं । पटुता के अतिशय के कारण पूर्व वालों में परिणमन की शक्ति होती है। इस प्रकार यह सिद्ध है कि स्पर्श आदि तथा शब्द आदि अनवस्थित होते हैं, क्योंकि उनमें परिणमन होता है ।
प्रश्न-परिणमन की विशेषता के कारण गुणवत्त्व अनवस्थित होने पर भी बद्ध होने वाले दो परमाणु पुद्गलों में गुणवत्त्व होने पर दो समान गुण वाले अथवा विषमगुण वाले का द्विगुण स्निग्ध या द्विगुण रूक्ष का, इसी प्रकार द्विगुण स्निग्ध और चतुर्गुण रूक्ष का परिणमन किस प्रकार होता है ? क्या दो गुण स्निग्धता वाला पुद्गल दो गुण रूक्ष पुद्गल को स्निग्ध रूपमें परिणत कर लेता है ? अथवा दो गुण रूक्ष पुद्गल दो गुण स्निग्ध पुद्गल को रूक्ष के रूप में
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧