Book Title: Tattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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तत्त्वार्थसूत्रे
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मुत्कृष्टा स्थितिः सप्तदशसागरोपमा - ५ तमः प्रभायां नारकाणामुत्कर्षेण द्वाविंशति सागरोपमा स्थितिः–६ तमस्तमःप्रभायान्तु तेषा मुत्कर्षेण त्रयस्त्रिंशत् सागरोपमा भवति ॥१७॥
तत्वार्थनिर्युक्तिः - नारकाणामनपवर्त्ययुष्कत्वादनुबद्ध विषमदुःखानुमूलकर्मालीढमूर्तित्वेनाऽकाले मुमूर्षूणामपि मृत्युर्न भवति, किन्तु - पूर्णेस्वायुषि पश्चात्ते - उद्वर्तिष्यन्ते, तस्मात् किं तत्तेषां नारकाणा मायुष्क मित्याकाङ्क्षयां प्रथममुत्कृष्टत आयुःपरिमाणमाह – “तेसुं नारगाणं उक्कोसेणं - " इत्यादि ।
तेषु पूर्वोक्तस्वरूपेषु रत्नप्रभादिसप्तपृथिवीषु नरकेषु यथासंख्यं - त्रिंशत् - पञ्चविंशति - पञ्च दश–दश - त्रिलक्ष-पञ्चोनै कलक्ष - पञ्चसङ्ख्यकेषु नरकावासेषु नारकाणामुत्कृष्टेन - उत्कर्षतः स्थितिः आयुः प्रमाणम् यथाक्रमम् - क्रमशः रत्नप्रभादि सप्तपृथिवीक्रमानुसारेण एक-त्रि - सप्त - दश - सप्तदश - द्वाविंशति - त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमा अवसेयाः ।
तत्र - रत्नप्रभाया मेका-सागरोपमा - उत्कृष्टा स्थितिर्नारिकाणाम् - १ शर्कराप्रभायां त्रिसागरोपमा उत्कृष्टतः स्थिति स्तेषाम् - २ वालुकाप्रभायां नारकाणा मुत्कृष्टा स्थितिः सप्तसागरोपमा - ३ पङ्कप्रभायां तेषा मुत्कृष्टा स्थिति दशसारोपमा - ४ धूमप्रभायां नारकाणामुत्कृष्टतः स्थितिः सप्तदश सागरोपमा - ५ तमः प्रभायां तु-नारकाणा मुत्कृष्टा स्थिति द्वविंशति सागरोपमा - ६ तमस्तमः प्रभायां पुनर्नारिकाणामुत्कृष्टतः स्थिति स्त्रयस्त्रिंशत्सागरोपमा भवतीति बोध्यम्-७
पम की होती हैं (६) तमः प्रभा में नारकों की स्थिति उत्कृष्ट बाईस सागरोपम की होती है । और (७) तमस्तमः प्रभा में नारकों की उत्कृष्ट स्थिति तेतीस सागरोपम की होती है ॥१७॥ तत्वार्थ नियुक्ति- - अत्यन्त विषम दुःखजनक कर्मों का बन्ध करने के कारण एवं अनपवर्त्तनीय आयु वाले होनेके कारण नारक जीव अकाल में ही मृत्यु की अभिलाषा करते हुए भी अकाल में नहीं मरते । आयु पूर्ण होने पर यथाकाल ही उनका मरण होता है । यहाँ यह आशंका उत्पन्न होती है कि उनकी आयु कितनी होती है ? इस शंका का समाधान करने के लिए उनकी आयु का उत्कृष्ट प्रमाण बतलाया जाता है
जिनका स्वरूप पहले बतालाया जा चुका है, उन रत्नप्रभा आदि सात नरक भूमियों में यथाक्रम तीस, पच्चीस, पन्द्रह, दस, तीन लाख, पाँच कम एक लाख और पाँच नारका - वासों में नारक जीवों की उत्कृष्ट स्थिति अर्थात् आयु का प्रमाण रत्नप्रभा आदि भूमियों के अनुक्रम से एक सागरोपम, तीन सागरोपम, सात सागरोपम, दस सागरोपम, सत्रह सागरोपम, वाईस सागरोपम और तेतीस सागरोपम की होती है ।
इस प्रकार रत्नप्रभा पृथ्वी में नारकों की उत्कृष्ट स्थिति एक सागरोपम की, शर्कराप्रभा में तीन सागरोपम की, वालुकाप्रभा में सात सागरोपम की, पंकप्रभा में दस सागरोपम की, धूमप्रभा में सत्रह सागरोपम की, तमः प्रभा में वाईस सागरोपम की और तमस्तमः प्रभा में तेतीस सागरोपम की उत्कृष्ट स्थिति होती है ।
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર : ૧