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दीपिकानियुक्तिश्च अ ५ सू. ३१ धातकीखण्डे-पुष्कराद्धे च द्वौ २ भरतादिक्षेत्रौः ६६९
मूलसूत्रम्-धायइखंडे पुक्खरद्धे य दो दो वासा-कुराय-, ॥३१॥ छाया-"धातकोखण्ड-पुष्कराधैं च द्वौ द्वौ वर्षों कुरवश्व-" ॥ ३१ ॥
तत्त्वार्थदीपिका--पूर्व तावज्जम्बू द्वे भरत-हमवत-हरिवर्षमहाविदेह-रम्यकवर्ष हैरण्यवतै रखताश्च सप्तवर्षाः प्रत्येकमेकैके प्रतिपादिताः, सम्प्रति-धातकीखंडे, पुष्करार्धे च द्वौ द्वौ भरतादिवर्षों स्त इति प्रतिपादयितुमाह-"धायइखंडे-" इत्यादि ।
धातकीखण्डे-पुष्करा॰ च द्वौ द्वौ वर्षी इति कृत्वा भरतादयः सप्त ये ते तत्र-चतुर्दश चतुर्दश सन्ति कुरवश्च पञ्च महाविदेहेष्वेव भवेयुरिति जम्बूद्वीपातिरिक्तेषु चतुषु महाविदेहेषु चत्वारो देवकुरवःचत्वार उत्तरकुरवश्चेति धातकीखण्डे पुष्करार्द्धचा-ऽष्टौ सन्ति तथाच-जम्बूद्वीपे एकैको भरतादिवर्षः, धातकीखण्डेच-द्वौ द्वौ भरतादिवर्षी, पुष्करार्द्धच-द्वौ द्वौ भरतादिवर्षी स्त इति एवं-मेरुपर्वता अपिपञ्च सन्ति तथैव-महाविदेहेषु देवकुरवः-उत्तरकुरवश्वाऽपि पञ्चपञ्च सन्ति ॥ ३१ ॥
तत्त्वार्थनियुक्तिः - पूर्वं जम्बूद्वीपे भरतवर्षादीनि सप्तक्षेत्राणि प्ररूपितानि-भरतादिक्षेत्रं ञ्चैकैकं जम्बूद्वीपे वर्तते-इत्युक्तम् ,-सम्प्रति धातकीखण्डे-पुष्कराट्टैच द्वे द्वे भरतादिक्षेत्रे स्तः इतिप्रतिपादयितु माह 'धायइखण्डे-पुक्खरड्ढेय दो दो वासा कुरा य-,,इति ।
धातकीखण्डे-पुष्कराढ़े च द्वौ द्वौ भरतादिवर्षी स्तः, कुरवश्च-पञ्चमहाविदेहेष्वेब 'धइयखंडे पुक्खरद्धे' सूत्र ३१ सूत्रार्थ-धातकीखण्ड और पुष्कराध में दो-दो वर्ष और दो-दो कुरु हैं ॥
तत्त्वार्थदीपिका-पहले जम्बूद्वीप में भरत, हैमवत, हरिवर्ष, महाविदेह, रम्यकवर्ष, हैरण्यवत, और ऐरवतवर्ष, इन सात वर्षों का प्रतिपादन किया गया है । अब यह निरूपण करते हैं कि धातकीखण्ड और पुष्करार्ध में भरत आदि क्षेत्र दो-दो हैं
___ धातकीखण्ड द्वीप में तथा पुष्करार्ध द्वीप में भरत आदि प्रत्येक क्षेत्र दो-दो हैं । अतएव वहाँ सात के बदले चौदह-चौदह क्षेत्र होते हैं । कुरु महाविदेहों में ही होते हैं, अतः जम्बूद्वीप के देवकुरु और उतरकुरु के अतिरिक्त चार देवकुरु और चार उत्तरकुरु धातकीखण्ड और पुष्करार्ध में हैं । इस प्रकार जम्बूद्वीप में भरत आदि क्षेत्र एक-एक हैं । धातकीखण्ड में दो-दो हैं और पुष्कराध में भी दो-दो हैं, ये सब मिलकर पाँच-पाँच होते हैं। मेरुपर्वत भी पाँच-पाँच हैं । महाविदेहों में देवकुरु और उत्तरकुरु भी पाँच-पाँच ही होते हैं ॥३१॥
तत्त्वार्थनियुक्ति-जम्बूद्वीप में सात क्षेत्रों का पहले कथन किया गया है और यह भी बतलाया जा चुका है कि जम्बूद्वीप में एक-एक भरत आदि क्षेत्र है। अब यह निरूपण किया जाता है कि धातकी खण्ड एवं अर्द्ध पुष्करद्वीप में भरत आदि क्षेत्र दो-दो हैं
धातकीखण्ड और पुष्कराध क्षेत्र में भरत आदि वर्ष दो-दो हैं । कुरु सिर्फ पाँच
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્રઃ ૧