Book Title: Tattvartha Sutra Part 01 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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तत्त्वार्थसूत्रे स्थित्यंशलक्षणसामान्यापरित्यागपूर्वकमेव परिणतानि भवन्ति । स च परिणामो द्विविधः, अनादिः सादिश्च. । तत्राऽरूपिषु धर्माधर्माकाशकालजीवेषु पञ्चद्रव्येषु अनादिः परिणामो बोध्यः ।
तत्र-धर्मद्रव्यस्याऽनादिःपरिणामस्तावत्असंख्येयप्रदेशत्वं लोकाकाशव्यापित्वम्-अमूर्तत्वम्गुन्तृगत्यपेक्षाकारणत्वम्-अगुरुलघुत्वादिकमवसेयम् । अधर्मद्रव्यस्य पुनरनादिः परिणामः-असंख्येयप्रदेशत्वलोकाकाशव्यापित्वादिक स्थित्यपेक्षाकारणत्वञ्च । आकाशस्याऽनादिः परिणामस्तु-अनन्तप्रदेशत्वा-ऽमूर्तत्वाऽगुरुलघुपर्यायत्वाऽवगाह कञवगाहदायित्वादिः । कालस्य चाऽनादिः परिणामः पुनः-समय-क्षणावलिकादि ह्यः-श्वो वर्तमानत्वादिः परत्वापरत्वादिः अमूर्तत्वम् अगुरुलघुत्वादिश्च- ।
जीवस्य पुनरनादिः परिणामः जीवत्व-भव्यत्वादयः अमूर्तत्वम् , ज्ञानदर्शनादयश्चाऽवगन्तव्याः । रूपिषु तावत् पुद्गलद्रव्येषु सादिःपरिणामोऽनेकविधः प्रज्ञप्तः । तथाहि-पुद्गलेषु यणुकादिस्कन्धलक्षणः शब्दादिः शुल्क-कृष्ण-रक्त-पीतादिः-रसादिश्च । तत्र--यदा द्वौ परमाणू विस्रसया व्यणुकस्कन्धारम्भं कुरुतः तदा-परमाणुद्वयस्य द्यणुकस्कन्धपरिणामः सादिरुच्यते. ।।
एवं रूपिषु रूपरसगन्धस्पर्शवत्सु द्रव्येषु उत्पादव्ययवत्सु रूपरसगन्धस्पर्शादिरनेकविधः सादिः परिणामो भवति । स्पर्शश्चाष्टविधः-कर्कश--मृदु-गुरु-लघु-शीतोष्ण-स्निग्ध-रूक्षरूपः । कर्कशतर
परिणाम दो प्रकार का है अनादि और सादि । अरूपी धर्म, अधर्म, आकाश, काल और जीव इन पाँच द्रव्यों में अनादि परिणाम जानना चाहिए ।
असंख्यात प्रदेशवत्त्व, लोकाकाशव्यपित्व, अमूर्त्तत्व, गमननिमित्तत्व, अगुरु लघुत्व आदि धर्मास्तिकाय का अनादि परिणाम है । असंख्यात प्रदेशवत्त्व, लोकाकाशव्यांपित्व, स्थितिनिमित्तत्व, अधर्मास्तिकायका अनादि परिणाम है। अनन्त प्रदेश बन्ध अमूर्त्तत्व, अगुरुलघुपर्यायत्व, अवगाह हेतुत्व आदि आकाश का अनादि परिणाम है । आवलिका आदि, कल, आगामी कल, वर्तमानता आदि, परत्व-अपरत्व आदि, अमूर्त्तत्व, अगुरुलघुत्व आदि काल का अनादि परिणाम है । जीबत्व, भव्यत्व आदि, अमूर्त्तत्व तथा ज्ञान-दर्शन आदि जीव का अनादि परिणाम है !
रूपी पुद्गल द्रव्यों में सादि परिणाम अनेक प्रकार का कहा गया है; जैसे-यणुक आदि स्कंध रूप, शब्दादि शुक्ल, कृष्ण, रक्त, पीत, आदि रस, आदि । जब दो परमाणु स्वभाव से द्वयणुक स्कंध को उत्पन्न करते हैं तब दोनों परमाणुओं में जो स्कंध रूप परिणाम उत्पन्न होता है, वह सादि परिणाम है ।
इसी प्रकार रूपी और उत्पाद-व्यय वाले द्रव्यों में रूप रस गंध स्पर्श आदि रूप अनेक प्रकारका सादि परिणाम होता है ।
स्पर्श आठ प्रकार का है-(१) कर्कश ( कठोर ), (२) मृदु (३) गुरु-भारी (४) लघुहल्का (५) शीत (६) उष्ण (७) स्निग्ध और (८) रूक्ष-रुखा । इसमें कर्कशतर कर्कशतम
શ્રી તત્વાર્થ સૂત્ર: ૧