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षड्दर्शन समुच्चय भाग - २, श्लोक - ५७, जैनदर्शन
है। उस विशेष के कारण परमाणु आदि में विलक्षणता आती है। इस तरह से वैशेषिक परमाणु आदि में (आकृति आदि की अपेक्षा से सामान्यरुपता और विलक्षणता = विशेषरुपता को स्वीकार करके स्याद्वाद का ही स्थापन करते है ।)
इस अनुसार से नैयायिक और वैशेषिक अपने आप ही (अपने शास्त्रव्यवहारो में) अनेकांतवाद का स्वीकार करके भी उस अनेकांतवाद का खंडन करने के लिए तत्पर बने हुए नैयायिक और वैशेषिक सचमुच सत्पुरुषो के उपहास का साधन बन जाते है । नैयायिको की स्ववचनविरोधिता भी उपहास्य बन जाती है।
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वैसे ही, अनेकांतवाद का स्वीकार करने से यह गुण होता है कि, परस्परविभक्त अवयव, अवयवी आदि में परस्परवृत्ति मानने की विचारणा में जो दूषण आते है, उन सभी का परिहार होता है।
२६७/८९०
(यहाँ प्रथम अनेकांतवाद का स्वीकार न करने वाले नैयायिको की तथा बौद्धो की चर्चा चालू होती है । उसमें बौद्ध प्रथम एकांत से अवयव - अवयवी को भिन्न मानने वाला तथा सत्तासामान्य आदि की अपनी व्यक्तिओ में वृत्ति मानने वाले वैशेषिको को - नैयायिको को दूषण देते है ।) नैयायिक आदि अवयवो को अवयवी से अत्यंत भिन्न मानते है । कथंचित् भेद नहीं मानते है। (इसलिए बौद्ध उसमें दूषण देते है कि..) यदि आप (नैयायिक आदि) अवयवो का अवयवी से एकांत से भेद मानते हो तो हमारा (बौद्धोका) प्रश्न है कि... अवयवो में अवयवी रहता है, वह क्या एक देश से रहता है या सर्वदेश से रहता है ? यदि आप "अवयवो में अवयवी एक देश से रहता है" ऐसा कहोंगे तो, वह योग्य नहीं है, क्योंकि अवयवी तो निरवयव माना गया है ।
आप लोग यदि अवयवी को सावयव मानोंगे तो हमारा (बौद्धो का) आपको (नैयायिक आदि को) प्रश्न है कि... अवयवी अवयवो से भिन्न है या अभिन्न है ? यदि अवयवी अपने अनेक अवयवो से अभिन्न है, तो अनेकांतवाद मानने की आपत्ति आयेगी, क्योंकि एक निरंश अवयवी को अनेक अवयवोवालाप्रदेशवाला मानना पडता
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यदि अवयवी अपने अनेक अवयवो- प्रदेशो से भिन्न है, तो अवयवी अवयवो में किस तरह से रहता है ? वह आपको कहना चाहिए। अर्थात् अवयवी अपने अनेक प्रदेशो से भिन्न है, तो वह अवयवी प्रदेशो में एक देश से रहता है या सर्वदेश से रहता है ? इसका जवाब देना चाहिए।
एक देश से वृत्ति मानना उचित नहीं है, क्योंकि अनवस्थादोष आता है। (कहने का मतलब यह है कि, अवयवी निरंश होने से उसके प्रदेश ही नहीं है। प्रदेश माने जायेंगे तो उन प्रदेशो में वह सर्वदेश में रहेगा या एक देश से रहेगा.. इत्यादि प्रश्न पुनः चालू ही रहेंगे, अंत ही नहीं आयेगा । इस तरह से अनवस्थादोष आता है।)
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"अवयवी अपने प्रत्येक अवयवो में समग्रतया सर्वदेश से रहता है, " यह पक्ष मानोंगे, तो वह भी उचित नहीं है । क्योंकि प्रत्येक अवयवो में अवयवी परिपूर्णतया रहता होने से (अवयव अनेक है।
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