Book Title: Shaddarshan Samucchaya Part 02
Author(s): Sanyamkirtivijay
Publisher: Sanmarg Prakashak
View full book text
________________
७१८ / १३४०
न्यायली०
न्यायवा०
न्यायवा० ता० टी०
न्यायसारः
न्यायावता०
न्यायभा०
न्यायवि० वि०
न्यायबि०
न्याय बि० टी०
न्याय वि.
न्यायसि.
प्रमाणसमु०
प्रमाणप०
प्रमाणमी०
प्रमाणसं०
प्रमेयकo
प्रमेयरत्नमा०
प्रमेयरत्न०
प्रव० टी०
प्रश० भा०, कन्द प्रश० किर०
प्रश० भा, व्यो० पूर्णप्रज्ञभा०
पात० महाभा०
पां.यो.सू.
बृहत्कल्प० मलय०
सर्वज्ञसि०
बृ०
: न्यायलीलावती
Jain Education International
:
न्यायसू०
न्यायभा०
नीति०
प्रभाकरवि०
प्रकरण पं०
प्रज्ञा० मलय०
प्रज्ञापनासूत्र-मलयगिरिटीका
प्रमाणन०
:
प्रमाणनयतत्त्वालोकः
प्र० वार्तिकालं०
: प्रमाणवार्तिकालंकारः,
प्र० वा० स्ववृ० टी० : प्रमाणवार्तिकस्ववृत्तिटीका,
प्रमाणवा०
: प्रमाणवार्तिकम्,
: न्यायसारः
:
:
:
: न्यायबिन्दुः
:
:
:
:
न्यायवार्तिकम् न्यायवार्तिकतात्पर्यटीका,
:
न्यायावतारः
न्यायभाष्यम्
न्यायविनिश्चयविवरण, प्रथमभाग,
प्रभाकर विजय,
: प्रकरणपंजिका,
:
:
न्यायबिन्दुटीका
न्यायविनिश्चय
न्यायसिद्धांत मुक्तावली
प्रमाणसुमच्चयः प्रमाणपरीक्षा,
: प्रमाणमीमांसा,
प्रमाणसंग्रह,
: प्रमेयकमलमार्तण्ड,
: प्रमेयरत्नमाला,
प्रमेयरत्नार्णव
:
प्रवचनसारटीका ( जयसेनीया) प्रशस्तपादभाष्यकन्दली
: प्रशस्तपादभाष्यकिरणावली टीका,
:
न्यायसूत्रम्
न्यायभाष्य
नीतितत्त्वालोक
:
बृहदा० ब्रह्मसू० शां० भा०
| बोधिचर्या० पं० पृ०
भग०
भगवद्गी०
भा.ता.नि.
म.सि.सा.
मनु०
महाभा०
माध्यमिक० वृ०
मीमांसान्या०
षड्. समु. भाग-२, परिशिष्ट-९, संकेतविवरणम्
: बृहदारण्यकोपनिषत्,
: ब्रह्मसूत्रशांकरभाष्यम्,
मुण्डक०
मूलाचा०
मैत्रा०
यश०
युक्तयनुशा० योगद० व्यासभा० यो. सू.
| योगभा०
योगभा० तत्त्ववैशा०
यो.शा.
| योगसू० व्यासभा० योग दृ. समु.
यो.श.
रत्नक०
रत्नाकराव०
राजवा०
: प्रशस्तपादभाष्य व्योमवतीटीका,
वादन्यायः
: पूर्णप्रज्ञभाष्य
विधिवि०
:
| विधिवि० न्यायकणि० :
:
विवरणप्र०
पातंजल महाभाष्य पातंजलयोगसूत्र बृहत्कल्पभाष्यम्-मलयगिरि टीका विवेकचू०
बृहत्सर्वज्ञसिद्धिः
विशेषा०
For Personal & Private Use Only
:
: भगवतीसूत्रम्,
: भगवद्गीता,
:
:
बोधिचर्यावतारः,
: मनुस्मृति,
: महाभारतम्,
:
:
भागवततात्पर्यनिर्णयः माध्वसिद्धांतरसार
मानमे०
मी० श्लो०
:
मी० श्लो० उपमान० : मीमांसाश्लोकवार्तिकम्
मी० श्लो० प्रत्यक्षसू० : मीमांसाश्लोकवार्तिकम्,
:
मुण्डकोपनिषत्,
माध्यमिकवृत्तिः,
मीमांसान्यायप्रकाश
मानमेयोदय:
मीमांसा श्लोकवार्तिकम्,
:
मूलाचार, : मैत्रायण्युपनिषद्,
: यशस्तिलकम्,
: युक्तयनुशासन,
: योगदर्शनव्यासभाष्यम्,
:
: योगदर्शनव्यासभाष्यम्
: योगभाष्यस्य तत्त्ववैशारदीटीका, योगशास्त्र
योगसूत्र
: योगसूत्रव्यासभाष्यम्
:
योगदृष्टि समुच्चय योगशतक
रत्नकरण्ड श्रावकाचार,
रत्नाकरावतारिका,
राजवार्तिक,
वादन्यायः,
विधिविवेक,
विधिविवेक टीका न्याय कणिका, विवरणप्रमेयसंग्रहः,
विवेकचूडामणि
:
: विशेषावश्यकभाष्यम्,
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 743 744 745 746 747 748 749 750 751 752 753 754 755 756