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कुमारसंभव
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हिमालय और मेना दोनों को पार्वती जी प्राण से बढ़कर प्यारी लग रही थीं, क्योंकि विवाह हो जाने पर वे अभी वहाँ से चली जाने वाली थीं। स्वबाण चिह्नादवतीर्य मार्गदासन्नभू पृष्ठ मियाय देवः। 7/5 महादेव जी उस आकाश से पृथ्वी पर उतरे, जिसमें उन्होंने त्रिपुरासुर को मारते
समय बहुत से बाण चलाकर चिह्न बना दिए थे। 5. उप :-पास, नज़दीक, निकट।
तस्योपकण्ठे घननीलकण्ठः कुतूहलादुन्मुख पौर दृष्टः। 8/7 उसी नगर के पास बादलों के समान नीले कण्ठ वाले महादेव जी को वहाँ के
निवासी, बड़े चाव से ऊपर मुंह उठाए हुए देख रहे थे। 6. संनिकृष्ट :-पास, निकट।
स वासवेना संनिकृष्टमितो निषीदेति विसृष्ट भूमिः। 3/2 इन्द्र ने कामदेव से कहा-आओ यहाँ बैठो। यह कहकर उसे अपने पास ही बैठा
लिया। 7. समीप :-वि० [संगता आपो यत्र-अच्, आत, ईत्वम्] निकट।
तां नारदः कामचरः कदाचित्कन्यां किल प्रेक्ष्य पितुः समीपे। 1/50 नारद जी एक दिन घूमते-घूमते हिमालय के यहाँ पहुँचे, तो क्या देखते हैं कि हिमालय के पास उनकी कन्या बैठी हुई हैं। दूकूल वासाः स वधू समीपं निन्ये विनीतैरवरोधदक्षैः। 7/73 रेशमीवस्त्र पहने हुए महादेव जी को रनिवास के सेवक उसी प्रकार पार्वतीजी के पास ले गए। शैलराजतनया समीप गामाललाप विजयामहेतुकम्। 8/49 पार्वती जी ने पास बैठी हुई, विजया से इधर-उधर की बेसिर-पैर की बातें छेड़
दी।
अद्रि 1. अद्रि :-पुं० [अदिशदीति क्रिन्] पर्वत, वृक्ष।
अयाचिता नहि देव देव मदिः सुतां ग्राहयितुं शशाक। 1/52 पर हिमालय ने सोचा कि जब तक स्वयं महादेव जी ही कन्या माँगने नहीं आते, तब तक अपने आप उन्हें कन्या देने जाना ठीक नहीं जंचता।
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