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संख्या
११०
३. संख्या विषयक प्ररूपणाएं
४. जीवोंकी स्वस्थान भागाभागरूप आदेश प्ररूपणा (प. रवं. ७/२.१०/सू. सं./पृष्ठ सं.); (ध. ३/१,२, सूत्र ( दे. नीचे नोट )/पृष्ठ सं.) नोट-संख्या विषयक आदेश प्ररूपणामें उस उस मार्गणा सम्बन्धी सूत्रों में से अन्तिम सूत्रों की टीकामें उस उस मार्गणा सम्बन्धी भागाभाग
प्ररूपणा की गयी है।
मार्गणा
ध./पृ.
भागाभाग
I
मार्गणा
ष.खें./ सू./पृ.
ध,
भागाभाग
१. गति मार्गणा
सौधर्म युगल
शेषका सं. बहु.
१. नरक गति नारकी सा. १-७ प्रत्येक पृ. प्रथम पृ. २-७ पृ. प्रथम पृ.
ool
स्वर्ग क्रमसे उत्तरोत्तर प्रत्येक स्वर्गमें सौधर्म युगलबत् उत्तरोत्तर असं बहु.
२-७ पृ.
४.३२
सर्व जीव अनं.
सनत-सहस्रार उपरोक्तवत नरक सा.का असं.बहु..
ज्योतिषी ४,३,२ उत्तरोत्तर असं.बहु.
व्यंतर ४,३,२ शेषका अस. बहु. भवनवासी ४.३,२
(आनत-उपरिम
वेयक उत्तरोत्तर क्रमसे आनत से. प्रथम पृथिवीवत् उपरिमz.
अनुदिश सर्व जीवका अनं.बहु, विजय आदि सर्व जीव+अनं.
चारों अनुत्तर
आनत से. उपरोक्तवत्
उपरिम गै. तियं.सा.का अनं,बहु
शेषका सं. बहु. सर्वार्थ सि. | " असं...
२. इन्द्रिय मार्गणा
शेषका
उत्तरोत्तर , ,
२. वियंच गति तियं. सा. पंचें.सा. प., यो, अप. एके+विक. पंचें. अप. पंचें. तियं. प.
" , योनिपंचेंप, सा.
२४०
.
..
शेष एक भाग
एकें. सा.
सर्व जीवके अनं, बहु. सर्व जीव' असं.
-
" असं.. शेष एक भाग
बा. एके. सा.
,, प, अप सू. सा.
to.
३. मनुष्य गति मनु, सा.
सर्व जीव+अनं.
उपरोक्तवत्
सर्व जीवके सं. बहु. सर्व जीव+सं. सर्वजीवके अन, गहु,
मनुष्यनी मनु. अप. मनु. अप. मनुष्यनी मनु. प.
., ,, अप. विकलें. सा:
प, अप. पंचें. सा.
प. अप.
13501505 | ve ve xe : : :
मनु. सा.का असं.बहु.
शेषका सं. बहु. । उत्तरोत्तर ,,
"
,
अप,
सर्व जीवके सं.बहु. शेषके असं बहु. (असं असं.लोक) शेषके असं. बहु. "अनं.
बा. , अप.
अनिन्द्रिय वस राशि
शेष (पत्य/असं.)
४. देव गति देव सा, भवन सर्वार्थ. ज्योतिष व्यन्तर, भवन सौधर्म युगल सनद-सहस्रार सौधर्म युगल
सर्व जीव अनं. उपरोक्तवत् देव सा.का असं. महु. उत्तरोत्तर , शेषका उत्तरोत्तर , शेषका
नोट-प्रस राशिके असं बहुभागके चार समान खण्ड करके द्वीन्द्रियादि प्रत्येकको एक एक खण्ड दें। तहाँ समान भागोंकी सहनानी='क'; शेष भागकी सहनानी-'ख/ख' राशिका उत्तरोत्तर असं, बहुभाग द्वीन्द्रिय आदिके पूर्वोक्त 'क' में जोड़ना। असं आ/असं]
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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