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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
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१
া চম 20
२
३
५
८
२. इन्द्रिय मार्गणाकी अपेक्षा प्रकृतियोंका उ. ज. स्थितिकी सारणी (रा. भा./८/१४-२० ) ( म. म. २ /२४ / ९७-२६) (. ६/११६)
प्रकृति
ज्ञानावरणीय दर्शनावरणीय
वेदनीय
कषाय
नोकषाय
११
उत्कृष्ट
आयु
नाम
गोत्र
अन्तराय
सागर
दर्शन मोहनीय १
| " :
१ १- पल्य / असं.
३/७
४/७
२/७
२/७
एकेन्द्रिय
३/७
जघन्य
सागर
७/०७/०८.
१- पण्य/जर्स
M 9
२५
--पत्य / असं.७५/७
-पन्य/अर्स.
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:
उत्कृष्ट
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सागर
२५
१००/७
५०/७
।
коло
७५/७
·
डीन्द्रिय
जघन्य
सागर
२५- पवय / असं.
७५
19
- पन्य / अस.
1ত
-1/1
02-10
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श्रीवि
उत्कृष्ट
सागर
40
१५०/७
19
५०
२५-१क्य अस १०० २००/० "
molo
जघन्य
२०- पय/ असं.
१५०
१००/७
"
१५०/७
सागर
३०. पय/अर्स, २००
७
देखो आयु
१००
७
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७
१०० /७ २०० /
१५०
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- पश्य /..
उत्कृष्ट
१००
"" ४००/७
२००/०
चतुरिन्द्रिय
सागर
१००
३००/७
-
२००/७
"
३००/७
जघन्य
१०० पल्प / असं.
아침 이상 이상이 이영호
सागर
३००
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१०० / असं
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-
असंज्ञी पंचेन्द्रिय
"
उत्कृष्ट
सागर
१०००
२०००/०
""" २०००/७
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- पश्य / असं. ३०००/७
जघन्य
सागर
१००० १००० / असं
४०००/७
२०००/७
11| 1| 1| 1| 1|
१०००क्य असं ३० को. को
""
1/
उत्कृष्ट जघन्य
संज्ञी पंचेन्द्रिय
6
सागर अन्तर्मुहूर्त
७० को. को
४०
--/ 20.
11
: 1
" / " २० को. को,
११.
१२
१
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-
८
१
स्थिति
४६८
६. स्थितिबन्ध प्ररूपणा