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स्पर्श
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है | १८ | एक द्रव्यका देश अर्थात् अवयव यदि अन्य द्रव्य के देश अर्थात उसके अवयव के साथ स्पर्धा करता है तो वह देश जानना चाहिए। दो परमाणुओंका दो प्रदेशावगाही स्कन्ध बननेमें जो स्पर्श होता है वही देशस्पर्श है । ) ५. जो द्रव्य त्वचा या नोत्वचा को स्पर्श करता है यह सब त्यस्पर्श है ।२० प्रश्न- यह स्पर्श द्रव्य स्पर्शमें क्यों नहीं अन्तर्भाविको प्राप्त होता उत्तर--नहीं, क्योंकि स्वचा और नोत्वचा स्कन्ध में समवेत है, अतः उन्हें पृथक् द्रव्य नहीं माना जा सकता । स्कन्ध, त्वचा और नोखचाका समुदाय द्रव्य है । पर एक द्रव्य में इम्पस्पर्श नहीं बनता, क्योंकि ऐसा माननेमें विरोध आता है। प्रश्न स्पर्धा देशस्पर्शमें क्यों नहीं अन्तर्भूत होता है उत्तर नहीं, क्योंकि माना क्योंको विषय करनेवाले देश स्पर्शमें एक द्रव्यको विषय करनेवाले त्वक् स्पर्शका अन्तर्भाव माननेमें विरोध आता है । ६, जो द्रव्य सबका सब सर्वात्मना स्पर्श करता है परमाणु द्रव्य, वह सम सर्वस्पर्श है | २२|७. प आठ प्रकारका है---कर्मशस्थ मृदुप, गुरुस्पर्श, स्पर्श, स्निग्धस्पर्श, रूक्षस्पर्श, शीतस्पर्श और उष्ण स्पर्श है वह सम स्पर्शस्पर्श है । २४ । जो स्पर्श किया जाता है वह स्पर्श है, यथा कर्कश आदि । जिसके द्वारा स्पर्श किया जाय वह स्पर्श है, यथा त्वचा इन्द्रिय इन दोनों पक्षोंका स्पर्श स्पर्शस्पर्श कहलाता है। प्रकारका है--ज्ञानावरणीय कर्मस्पर्श, दर्शनावरणीय वेदनीय कर्मस्पर्श, मोहनीय कर्मस्पर्श, आयुकर्मस्पर्श, गोत्र कर्मस्पर्श और अन्तराय कर्म स्पर्श वह सभ कर्मस्पर्श है । २६ । आठ कर्मोका जीवके ग्राम, विसोपचयोंके साथ और नोकमोंके साथ जो स्पर्श होता है यह सब ग्ररूप स्पर्श में अन्तर्भूत होता है इसलिए वह यहाँ नहीं कहा गया है । किन्तु कर्मोंका कर्मों के साथ जो स्पर्श होता है वह कर्मस्पर्श है ऐसा यहाँ ग्रहण करना चाहिए । १. वह पाँच प्रकारका है- औदारिक शरीर बन्धस्पर्श इसी प्रकार बैंकिक आहारक तेजस और कार्मण शरीर बन्धस्पर्श । वह सब बन्ध-स्पर्श है |२| जो बाँधता है वह बन्ध कहलाता है, औदारिक शरीर औदारिक शरीर बन्ध है, उस बन्धका स्पर्श औदारिकशरीरबन्धस्पर्श है। इसी प्रकार सर्व शरीरबन्ध स्पर्शोका भी कथन करना चाहिए । १०. विष, कूट, यन्त्र, पिंजरा, कन्दक और पशुको बाँधनेका जाल आदि तथा इनके करनेवाले और इन्हें इच्छित स्थानों में रखनेवाले स्पयन के योग्य होंगे परन्तु अभी उन्हें स्पर्श नहीं करते; वह सब भव्य स्पर्श है |३०| ११, जो स्पर्श प्राभृतका ज्ञाता उसमें उपयुक्त है वह सम भाव स्पर्श है ॥३२॥
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बन्ध
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वह आठ कर्मस्प
घ. ४/१, ४.९/१४३-१४४ / १.२ से सव्वाणमागमसेण सह संजोओ खेतफो/१४३/३/ काल हिजो संजोओ सो कालको स
णाम । = १२, शेष द्रव्योंका आकाश द्रव्यके साथ जो संयोग है, वह क्षेत्र स्पर्शन कहलाता है । १३. कालद्रव्यका जो अन्य द्रव्योंके साथ संयोग है उसका नाम कालपर्शन है।
२. स्पर्श सामान्य निर्देश
१. अमूर्तसे मूर्तका स्पर्श कैसे सम्भव है
ध. ४/१,४,१/१४३/३ अमुत्तेण आगासेण सह सेसदव्वाणं मुप्ताणममुत्ताणं वा कई पोसो न एस दोस्रो, अयगेल्यावगाहमावरमेव उमारण फासवबएसादो, सत्त पमेयत्तादिणा अण्णोष्णसमाणतणेण वा ।... अनुशेष कालदव्येण सेस अदि वि पासो परिणाम माणाणि मेादन्यानि परिणक्षेण कालेन पुसिदागि ति उपयारेण कालफोसणं बुच्चदे । - प्रश्न- अमूर्त आकाश के साथ शेष अमूर्त और सूर्त द्रव्योंका स्पर्धा कैसे सम्भव है। उत्तर-यह कोई दोष नहीं है, क्योंकि अनगाहा अनगाहक भामको ही उपचार स्पर्श संज्ञाप्राप्त है, अथवा सत्त्व प्रमेयत्व आदिके द्वारा मूर्त द्रव्यके साथ अमूर्त द्रव्यकी परस्पर समानता होने से भी स्पर्शका व्यवहार बन जाता है ।... यद्यपि अमूर्तकाव्य के साथ शेष द्रव्योंका स्पर्शन नहीं है. तथापि परिणमित होने वाले शेष द्रव्य परिणामत्व की अपेक्षा काल से स्पर्शित है. इस प्रकारले उपचारसे काल स्पर्शन कहा जाता है।
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२.४/१.४.१/१४४/४ खेतकामपोसणा दिव्यफोन म्हि डि पर्व तिति बुसे ण पदंति, दबादी दवेगवेसस्स कथंचि भेदुबलं भादो । प्रश्नक्षेत्रस्पर्शन और कालस्पर्शन ये दोनों स्पर्शन, द्रव्य स्पर्शनमें क्यों नहीं अन्यभूत होते हैं उत्तर- अन्तर्भूत नहीं होते हैं, क्योंकि, असे अध्यके एकदेशका कथंचिह्न भेद पाया जाता है। ३. स्पर्श विषयक प्ररूपणाएँ
१. सारणी में प्रयुक्त संकेत सूची
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भाग
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२. क्षेत्र व काल स्पर्शका अन्तर्मान इम्य स्पर्शमें क्यों नहीं
८/१४/सोक लोकका ८/१४ भाग
अपर्याप्त असंख्यात
अप. असं.
थ, ज. प्र.. fa.
f.
डि.
प.
पृ.
मा.
म.
म.
सर्व.
सं.
सं.प.
सा.
जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
३. स्पर्श विषयक प्ररूपणाएँ
भाग
गुणा
किंचिदूण
लोक (मनुष्य लोक रहित सर्व लोक )
जगावर
तिर्म लोक
त्रिलोक या सर्व लोक
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व अथो मे दो लोक
पर्याप्त
पृथिवी
भादर
मनुष्य लोक (बाप) वनस्पति
सर्व लोक ( ३४३ घन राजू )
संख्यात
संख्यात घनांगुल सामान्य
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