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स्पर्श
प्रमाण
मागणा
गुण स्थान
स्वस्थानस्वस्थान | विहारवतस्वस्थान
वेदना कषाय समुद्घात
वैक्रियिक समुद्धात
मारणान्तिक समुद्घात
उपपाद
तेजस, आहारक व केबली समुद्धात
सिं.१.स.२
|
लोक
केवल तै., आ.मूलोघवद
मूलोधवत
केवल समु. मूलोधवत
नाका
| ४. योग मार्गणा४१२/पाँचों मन वचन योग अिसं, तिसं, | लोक लोक
मरअसं. १४१३/ काय योग सामान्य सर्व
सर्व ४१४ औदारिक काय योग
त्रिअसं, तिसं, मरअसं
जिअसं, तिसं, मरअसं (४१३ मिश्र , ४१५ वैक्रियिक काय योग त्रि/असं, तिसं, लोक
लोक | लोक म. असं४१७ वे क्रियिकामिश्र ,
स्वस्थान वव (नारकियों में)| (४१८ आहारक काय योग च असं; मांसं. असं, मसं. च/असं, मसं ४१६ , मिश्र ..
४२० कार्माण , २५५ पाँचों मन वचन योग १ | त्रि./असं, सिं., लोक Smलोक
लोक मरअसं.
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च/असं,म/सं.
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जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश
सर्व
४८५
लोक
लोक
मूलोधवत काय योग सामान्य १
लोक
मूलोधवत् औदारिक काययोग | सर्व त्रि/असं, ति./सं,
सर्व . निअसं, लिसं., मरअसं
मरअसं. २ | त्रिअसं, लिसं., त्रिअसं, तिसं, मरअसं त्रिअसं, ति/सं, मरअसं त्रिअसं, ति/सं, मरअसं
मरअसं
३. स्पर्श विषयक प्ररूपणाएँ
मूलोधवत्
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