Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 4
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 493
________________ Jain Education International For Private & Personal Use Only जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश www.jainelibrary.org प्रमाण सं.१ सं. २ पृ. पृ. २६ REE २६२/ औदारिकमिश्रयोग १ २४ २ २६८| २६६ 19 २७० 13 " मार्गणा २७१ वैकियो मिश्र योग गुण स्थान आहारक काय योग मिश्र योग कार्माणका योग ४ १३ १ ३ ४ १-२ ४ ६ १ २ oc १३ स्वस्थानस्वस्थान सर्व त्रि./असं, ति / सं असं. त्रि. / असं ति/सं मxअसं f./, fald, मxअस च thef सर्व ⠀⠀ विहारपदस्वस्थान : 5 5 लोक १४ כן 13 पर्स/सं. ... :: ... ... वेदना कषाय समुद्रघात स असं मिस कि/असं, ति/सं S म असं. मxअसं. प/अर्स मध्य अन/सं. सर्व : वैकिमिसमुद्रपात S : 23 13 मारणान्तिक समुद्दधात s 5 5 स !!! : ::: लोक अमवसं :: सोक उपपाद सर्व त्रि./असं ति./सं. मxअसं. त्रि. / असं., ति./सं. मज ⠀⠀⠀ त्रि./असं ति./सं मxअसं. !! सर्व लोक लोक तेजस, आहारक व केवली समुद्घात :. केवसी समुद ⠀⠀⠀⠀ *** प्रतर व लोकपूरण लाव स्पर्श ४८६ ३. स्पर्श विषयक प्ररूपणाएँ

Loading...

Page Navigation
1 ... 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551