Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 4
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 494
________________ प्रमाण Jain Education International स्पर्श मागणा गुण स्वस्थान-स्वस्थान विहारवत-स्वस्थान स. सं.२ | वेदना कषाय व समुद्धात वैक्रियिक समुद्धात मारणान्तिक समुद्धात उपपाद तैजस-आहारक व केवली समुद्धात स्थान E ५. वेदमार्गणा ४२०/ खोवेद (देवीप्रधान) त्रि./असं..ति. . लोक लोक लोक सर्व या मxअसं. लोक त्रि/असं , ति/सं... ६.लोक । तै. व आ. मूलोघवद पुरुषवेद ( देव.,,)। ४३३, नपुंसक वेद सर्वत्रि /असं, ति/सं, मxअसं. सर्व त्रि/असं.ति/सं, मxअसं वायुकायिक- लोक ४२४/ अपगत वेद त्रि./असं..म/सं. | त्रि/असं., म/सं., च/असं.,मxअसं. केवल समुद्रात ओघवत् खी वेद लोक सर्व त्रि./असं ति./सं. मxअसं. | लोक लोक 15 लोक For Private & Personal Use Only जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Almain : cm लो 028 ५ त्रि./असं.,ति./सं., त्रि/असं, ति/सं., मxअसं मxअसं. च/असं, मांसं. च/असं..म/सं. त्रि/असं , ति/सं., मxअसं. च/असं., म/सं. त्रि/असं, ति/सं.. मxअसं. । च/असं, म/सं. च/असं., मxअसं. २७६२७६ पुरुष वेद खोवेद बत स्त्रीवेद बत तैजस व आहा. ओघवत स्वी वेदवत् सर्व नपुंसक वेद सर्व त्रि/असं, ति/सं., मxअसं सर्व १३ त्रि./अर्स.. ति/सं., मxअसं या र लोक त्रि./असं., ति /सं. मxअसं. त्रि/असं., ति/सं. मxअसं. लोक | त्रि/असं.. ति/सं., मxअसं. १४ ३. स्पर्श विषयक प्ररूपणाएँ लोक च/असं., म असं www.jainelibrary.org

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