Book Title: Jainendra Siddhanta kosha Part 4
Author(s): Jinendra Varni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 489
________________ Jain Education International प्रमाण स्पर्श मार्गणा गुण- | स्वस्थान स्वस्थान स्थान विहारवर स्वस्थान | वेदना कषाय समुद्घात वैक्रियिक समुद्रात उपपाद सं.सं.२ मारणान्तिक समुद्धात तैजस आहारक व केवली समुपात भवनवासी , लोक च./असं..ति./सं., स्वनिमित्तक मरअसं. परनिमित्तक दोनों अपेक्षा लोक स्वनिमि.-5 परनिमि.-5 , दोनों अपेक्षा लोक स्वनिमि.-5 लोक स्वनिमि.-5 २ लोक परनिमि.-5 दोनों अपेक्षा त्रि./असं., ति./सं.. मरअसं. दोनों अपेक्षा वैक्रियकवद ई लोक २२८ व्यन्तर ज्योतिषी |त्रि./असं., ति./सं.. मरअसं. : . pr दोनों अपेक्षा वैक्रियक बद | 5 लोक २३४ . सौधर्म ईशान लोक लोक For Private & Personal Use Only जैनेन्द्र सिद्धान्त कोश Piuni ४८२. S सनत्कुमार-सहस्रार १.२.४ स्व ओघवद स्व ओघवद लोक आरण-अच्युत | १-२ लोक च./असं., ति./सं., मxअसं. 5 लोक com " लोक च./असं., ति./सं., मरअसं. लोक । क्रमेण : ६.३१, Sलोके त्रि./असं.,ति:/सं.. त्रि./असं..ति./सं., मरअसं. मरअसं. ६ ते नवग्रे वेयक | १-२ | त्रि./असं.,ति./सं... त्रि./असं., ति./सं., | त्रि./असं,, ति/सं., मरअसं. म असं. मरअस. त्रि./असं., ति/सं., मरअसं. त्रि./असं.,ति..सं., त्रि./असं.,ति./सं., मxअसं. मxअसं. च./असं., मरअसं.च./असं., मरअसं. ४ च./असं, मरअसं. च./असं., मरअसं. , च /असं., मरअसं. | च./असं., मरअसं. अनुदिशसे अपराजित सर्वार्थ सिद्धि ३. स्पर्श विषयक प्ररूपणाएँ म./सं. म./सं. www.jainelibrary.org

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